इस कारण भारत में किए गए वित्तीय निवेश को विदेशी वापस निकालना शुरू कर चुके हैं।
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पर इसकी संभावना कम ही है क्योंकि खतरनाक हो चुकी पेस बैट्री में से मिस्बाह शायद ही एक तरकश वापस निकालना चाहेंगे।
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साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का भारतीय बाजार से पैसा वापस निकालना और नीतिगत मोर्चों पर सरकार की जकड़न भी बड़ी चिंताओं में शामिल है।
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उनका कहना है, “ इन नियमों से फ़ायदा होगा कि बैंकों के पास रोज़मर्रा के कारोबार के लिए तो पैसा होगा ही साथ ही अगर कोई अपना पैसा वापस निकालना चाहे तब भी कोई मुश्किल नहीं हो. ''
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कॉमनवेल्थ के पहले पुल गिर गया, सभी चिल्लाने लगे, चारों तरफ कमी ढूँढने लगे, लेकिन जब ये कमियाँ खड़ी हो रहीं थी, तब तो समर्थ, शक्तिशाली, धनवान बुद्धिजीवियों को जाकर उसकी सुधि लेनी चाहिए, जबकि सब जानते हैं कि भारत में भ्रष्टाचार का पैसा खाना जितना आसान है उसे वापस निकालना उतना ही कठिन है..